नई दिल्ली में हुए 23वें भारत–रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन ने दोनों देशों के रिश्तों को एक नए चरण में पहुंचाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने प्रवासन, स्थायी श्रम गतिशीलता और आर्थिक सहयोग से जुड़े महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए। दोनों नेताओं ने एक संयुक्त बयान (Joint Statement) को भी औपचारिक रूप से अपनाया, जिसके साथ भविष्य के विस्तृत रोडमैप को भी आकार मिला
बैठक की शुरुआत में प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन का गर्मजोशी से स्वागत किया और याद दिलाया कि ठीक 25 साल पहले पुतिन ने भारत–रूस रणनीतिक साझेदारी की नींव रखी थी। पीएम मोदी ने कहा कि पिछले ढाई दशकों में पुतिन ने इन संबंधों को मजबूती से आगे बढ़ाया है और भारत के प्रति उनकी मित्रता प्रशंसनीय है।
उन्होंने इन रिश्तों को ‘ध्रुव तारे’ की तरह स्थिर और विश्वसनीय बताया, जो हर चुनौती और समय की कसौटी पर खरे उतरे है।मोदी और पुतिन ने बैठक में सभी महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर गहन चर्चा की. दोनों देशों ने 2030 तक के लिए एक इकोनॉमिक कोऑपरेशन प्रोग्राम पर सहमति जताई, जिससे व्यापार और निवेश को विविधता और नया संतुलन मिलेगा।
ऊर्जा, फार्मा, विनिर्माण, रक्षा और तकनीकी क्षेत्रों में नई साझेदारियां शामिल होंगी। पीएम मोदी ने बताया कि दोनों पक्ष यूरेशियन इकॉनॉमिक यूनियन (EAEU) के साथ मुक्त व्यापार समझौता (FTA) को जल्द अंतिम रूप देने का प्रयास कर रहे है। यूरिया उत्पादन पर संयुक्त काम और उर्वरक आपूर्ति की स्थिरता भी बैठक का प्रमुख विषय रहा। कनेक्टिविटी को भारत और रूस ने अपनी प्राथमिकता बताया।
नॉर्दर्न सी रूट और चेन्नई–व्लादिवोस्तोक समुद्री कॉरिडोर पर नए जोश के साथ काम बढ़ाने पर सहमति बनी, जिससे एशिया–यूरोप ट्रेड में भारत की भूमिका और मज़बूत होगी। न्यूक्लियर एनर्जी सहयोग दोनों देशों की साझेदारी का दशकों पुराना स्तंभ रहा है।कोडनकुलम जैसी परियोजनाएं आगे भी ऊर्जा सुरक्षा में अहम योगदान देती रहेंगी।विज्ञान, टेक्नोलॉजी और स्पेस सेक्टर में संयुक्त अनुसंधान पर भी सकारात्मक बातचीत हुई।
पीएम मोदी ने बताया कि भारत–रूस रिश्तों का सबसे मज़बूत पहलू सांस्कृतिक सहयोग और लोगों के बीच संपर्क है। इसी को ध्यान में रखते हुए रूस में भारत के दो नए कॉन्सुलेट खोले गए है, जिससे भारतीय छात्रों, व्यापारियों और कामगारों को बड़ी राहत मिलेगी।इस शिखर बैठक ने भारत–रूस के राजनीतिक, आर्थिक और मानव-संपर्क सहयोग को नई दिशा दी है।
प्रवासन और श्रम गतिशीलता का समझौता दोनों देशों के नागरिकों के लिए नए अवसर खोलेगा, जबकि व्यापार और कनेक्टिविटी पर हुए निर्णय आने वाले वर्षों में क्षेत्रीय संतुलन और रणनीतिक साझेदारी को और मज़बूत करेंगे।पुतिन ने बैठक में कहा कि उन्हें प्रधानमंत्री मोदी के साथ हुई बातचीत बेहद सार्थक लगी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत और रूस ने न सिर्फ द्विपक्षीय संबंधों, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी खुलकर विचार-विमर्श किया।
पुतिन के अनुसार, दोनों देशों के बीच विश्वास का स्तर इतना गहरा है कि किसी भी चुनौती पर ईमानदार और सीधे संवाद की गुंजाइश हमेशा बनी रहती है।रूसी राष्ट्रपति ने अर्थव्यवस्था को लेकर सकारात्मक संकेत देते हुए बताया कि दोनों देशों के बीच व्यापार पिछले वर्ष 12 प्रतिशत बढ़ा था और मौजूदा साल में भी यह नई ऊँचाइयों को छूने वाला है।
उन्होंने विश्वास जताया कि भारत और रूस मिलकर जल्द ही 100 अरब डॉलर के व्यापारिक लक्ष्य को हासिल करेंगे। इसके साथ ही, यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन के साथ मुक्त व्यापार समझौते को तेज़ी से आगे बढ़ाने पर भी सहमति बनी है।पुतिन ने यह स्पष्ट किया कि भारत–रूस व्यापार में रुपया–रूबल व्यवस्था को मजबूत करना उनकी प्राथमिकता है।
उन्होंने कहा कि दोनों देश बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए तैयार है। और रूस की ओर से भारत को तेल, गैस और कोयले की आपूर्ति बिना किसी रुकावट के जारी रहगी।यह पहल भारत की ऊर्जा सुरक्षा को और स्थिर बनाएगी।पुतिन ने बताया कि इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) पर काम तेजी से बढ़ाया जा रहा है। यह मार्ग भारत और रूस के बीच माल ढुलाई को आसान करेगा, जिससे व्यापारिक लागत और समय दोनों में बड़ी कमी आएगी।
इस कॉरिडोर को भविष्य के लिए दोनों देशों का सबसे महत्वपूर्ण कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट माना जा रहा है।रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि भारत–रूस रिश्ते केवल राजनीति और अर्थव्यवस्था तक सीमित नहीं है। दोनों देशों में जल्द ही फिल्म समारोह आयोजित किए जाएंगे, ताकि सांस्कृतिक आदान–प्रदान और मजबूत हो।
उन्होंने बताया कि एक रूसी टीवी चैनल शीघ्र ही भारत में प्रसारण शुरू करेगा, जिससे भारतीय दर्शकों को रूस से जुड़े कार्यक्रम और समाचार मिल सकेंगे।अपने संबोधन के अंत में पुतिन ने कहा कि भारत–रूस संबंध अनेक क्षेत्रों में एक साथ विकसित हो रहे है।दोनों देशों की साझेदारी समय की कसौटी पर खरी उतरी है और आने वाले वर्षों में इसे और व्यापक बनाने की प्रतिबद्धता दोनों पक्षों की समान है।



