इंडिगो फ्लाइट्स सकंट जो पिछले 7 दिनों से देश भर में चल रहा है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने दखल देने से मना कर दिया है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) ने कहा कि वह समझते हैं कि लाखों लोग इस समस्या का सामना कर रहे है, लेकिन सरकार पहले से ही इस मामले को देख रही है और इसे संभालने के लिए कदम उठा रही है।
यह मामला एक पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन के ज़रिए सुप्रीम कोर्ट में लाया गया था। पिटीशनर के वकील नरेंद्र मिश्रा ने कोर्ट से इस संकट में तुरंत सुओ मोटो कॉग्निजेंस लेने और दखल देने की मांग की थी। पिटीशन में दावा किया गया था कि फ्लाइट्स कैंसिल होने से यात्रियों को बहुत ज़्यादा परेशानी और मानवीय संकट हो रहा है, और इसे संविधान के आर्टिकल 21 के तहत मिले अधिकारों का उल्लंघन बताया गया था।
पिटीशन में प्रभावित यात्रियों के लिए दूसरी यात्रा और मुआवज़े की भी मांग की गई थी। पिटीशनर के वकील 6 दिसंबर को CJI सूर्यकांत के घर भी पहुंचे थे और मामले पर तुरंत सुनवाई की मांग की थी।कोर्ट में फाइल किए गए डेटा के मुताबिक, इस संकट की वजह से 2500 फ्लाइट्स में देरी हुई है और देश भर के 95 एयरपोर्ट पर असर पड़ा है।
फ्लाइट्स कैंसिल होने की मुख्य वजह पायलटों के लिए बनाए गए नए FDTL नियमों की गलत प्लानिंग बताई गई। CJI ने कहा कि अगर हालात ऐसे ही होते, तो मामला कुछ और होता, लेकिन चूंकि सरकार कदम उठा रही है, इसलिए वह इस मामले में दखल नहीं देंगे। इस बीच, वेस्टर्न रेलवे भी यात्रियों को राहत दे रहा है।



