NRI SANJH JALANDHAR (1 JULY)

देशभर में आज से लागू हो चुके नए कानून के तहत दिल्ली में पहला केस दर्ज कर लिया गया है। यह केस दिल्ली के कमला मार्केट इलाके का है, जिसमें खुद पुलिस थाने के सब इंस्पेक्टर ने आरोपी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। दर्ज FIR के मुताबिक SI कार्तिक मीणा ने यह शिकायत दर्ज कराई है।

बताया जा रहा है कि सब इंस्पेक्टर जब क्षेत्र में पेट्रोलिंग कर रहे थे, तब वह नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के फुट ब्रिज के पास डीलक्स शौचालय के नजदीक पहुंचे। यहां पर एक शख्स अपनी रेहड़ी लगाकर आम रास्ते पर बिड़ी और सिगरेट पीला रहा था। इससे लोगों को वहां से गुजरने में परेशानी हो रही थी।

तीन दिन के अंदर एफआइआर दर्ज करनी होगी

आपराधिक मुकदमे की शुरुआत एफआइआर से होती है। नये कानून में तय समय सीमा में एफआइआर दर्ज करना और उसे अदालत तक पहुंचाना सुनिश्चित किया गया है। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) में व्यवस्था है कि शिकायत मिलने पर तीन दिन के अंदर एफआइआर दर्ज करनी होगी। तीन से सात साल की सजा के केस में 14 दिन में प्रारंभिक जांच पूरी करके एफआइआर दर्ज की जाएगी। 24 घंटे में तलाशी रिपोर्ट के बाद उसे न्यायालय के सामने रख दिया जाएगा।

7 दिन के भीतर दुष्कर्म के मामले में कोर्ट में पेश करनी होगी रिपोर्ट

दुष्कर्म के मामले में सात दिन के भीतर पीड़िता की चिकित्सा रिपोर्ट पुलिस थाने और कोर्ट भेजी जाएगी। अभी तक लागू सीआरपीसी में इसकी कोई समय सीमा तय नहीं थी। नया कानून आने के बाद समय में पहली कटौती यहीं होगी। नये कानून में आरोपपत्र की भी टाइम लाइन तय है।

आरोपपत्र दाखिल करने के लिए पहले की तरह 60 और 90 दिन का समय तो है लेकिन 90 दिन के बाद जांच जारी रखने के लिए कोर्ट से इजाजत लेनी होगी और जांच को 180 दिन से ज्यादा लंबित नहीं रखा जा सकता। 180 दिन में आरोपपत्र दाखिल करना होगा। ऐसे में जांच चालू रहने के नाम पर आरोपपत्र को अनिश्चितकाल के लिए नहीं लटकाया जा सकता।

पुलिस के लिए टाइमलाइन तय करने के साथ ही अदालत के लिए भी समय सीमा तय की गई है। मजिस्ट्रेट 14 दिन के भीतर केस का संज्ञान लेंगे। केस ज्यादा से ज्यादा 120 दिनों में ट्रायल पर आ जाए इसके लिए कई काम किये गए हैं। प्ली बार्गेनिंग का भी समय तय है। प्ली बार्गेनिंग पर नया कानून कहता है कि अगर आरोप तय होने के 30 दिन के भीतर आरोपी गुनाह स्वीकार कर लेगा तो सजा कम होगी।

अदालत को 30 दिन में फैसला सुनाना होगा

अभी सीआरपीसीमें प्ली बार्गेनिंग के लिए कोई समय सीमा तय नहीं थी। नये कानून में केस में दस्तावेजों की प्रक्रिया भी 30 दिन में पूरी करने की बात है। फैसला देने की भी समय सीमा तय है। ट्रायल पूरा होने के बाद अदालत को 30 दिन में फैसला सुनाना होगा।

नए कानून में दया याचिका के लिए भी समय सीमा तय

लिखित कारण दर्ज करने पर फैसले की अवधि 45 दिन तक हो सकती है लेकिन इससे ज्यादा नहीं। नए कानून में दया याचिका के लिए भी समय सीमा तय है। सुप्रीम कोर्ट से अपील खारिज होने के 30 दिन के भीतर दया याचिका दाखिल करनी होगी।

क्या है नये कानून में

– पहली बार आतंकवादको परिभाषित किया गया

– राजद्रोह की जगह देशद्रोह बना अपराध

– मॉब लिंचिंग के मामले में आजीवन कारावास या मौत की सजा

– पीडि़त कहीं भी दर्ज करा सकेंगे एफआइआर, जांच की प्रगति रिपोर्ट भी मिलेगी

– राज्य को एकतरफा केस वापस लेने का अधिकार नहीं। पीड़ित का पक्ष सुना जाएगा

– तकनीक के इस्तेमाल पर जोर, एफआइआर, केस डायरी, चार्जशीट, जजमेंट सभी होंगे डिजिटल

– तलाशी और जब्ती में आडियो वीडियो रिकार्डिंग अनिवार्य

– गवाहों के लिए ऑडियो वीडियो से बयान रिकार्ड कराने का विकल्प

– सात साल या उससे अधिक सजा के अपराध में फारेंसिक विशेषज्ञ द्वारा सबूत जुटाना अनिवार्य

– छोटे मोटे अपराधों में जल्द निपटारे के लिए समरी ट्रायल (छोटी प्रक्रिया में निपटारा) का प्रविधान

– पहली बार के अपराधी के ट्रायल के दौरान एक तिहाई सजा काटने पर मिलेगी जमानत

– भगोड़े अपराधियों की संपत्ति होगी जब्त

– इलेक्ट्रानिक डिजिटल रिकार्ड माने जाएंगे साक्ष्य

– भगोड़े अपराधियों की अनुपस्थिति में भी चलेगा मुकदमा

कौन सा कानून लेगा किसकी जगह

– इंडियन पीनल कोड (आइपीसी)1860 की जगह लागू हो रहा है -भारतीय न्याय संहिता 2023

– क्रिमिनल प्रोसीजर कोड (सीआरपीसी) 1973 की जगह लागू हो रहा है – भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023

– इंडियन एवीडेंस एक्ट 1872 की जगह लागू हो रहा है – भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023

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कई ऐसे अपराध थे जिन्हें आईपीसी में पारिभाषित नहीं किया गया था। इसमें यह नहीं बताया गया था कि कौन से अपराध आतंकवाद की श्रेणी में आएंगे। नए कानून में भारत की एकता, अखंडता, संप्रभुता, सुरक्षा और आर्थिक सुरक्षा को खतरा पैदा करने को आतंकवाद की श्रेणी में रखा गया है। भारतीय न्याय संहिता की धारा 113 में इसका वर्णन किया गया है। इसमें भारतीय मुद्रा की तस्करी भी शामिल होगी। आतंकवादी गतिविधियों के लिए उम्रकैद या फिर मौत की सजा भी हो सकती है।

कानून के मुताबिक आतंकी साजिश रचने के लिए पांच साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है। इसके अलावा आतंकी संगठन से जुड़ने पर उम्रकैद और जुर्माने का प्रावधान है। आतंकियों को छिपाने पर तीन साल से लेकर उम्रकैद की सजा हो सकती है। इसके अलावा जुर्माना भी लगाया जा सकता है। भारतीय न्याय संहिता में राजद्रोह को समाप्त कर दिया गया है। वहीं भारत की एकता और अखंडता को खतरा पहुंचाने वाले कृत्यों को देशद्रोह में शामिल किया गया है। इसके लिए बीएनएस की धारा 152 लगाई जाएगी। वहीं आईपीसी में मॉब लिंचिंग का भी जिक्र नहीं था। अब इस अपराध के लिए उम्रकैद से लेकर मौत तक की सजा हो सकती है। इसे बीएनएस की धारा 103 (2) में शामिल किया गया है।

हत्या के लिए आईपीसी में धारा 302 थी जो कि बीएनएस में धारा 101 हो गई है। हत्या का प्रयास का मुकदमा जो धारा 307 के तहत दर्ज होता था, अब धारा 109 के तहत दर्ज होगा। गैर इरादतन हत्या के लिसए धारा 105 लागू होगी जो कि आईपीसी में धारा 304 थी। दहेज हत्या से जुड़ी धारा 80 होगी जो कि आईपीसी में धारा 304बी थी। चोरी के लिए अब धारा 303 में मुकदमा दर्ज किया जाएगा। आईपीसी के तहत धारा 379 में चोरी का मुकदमा दर्ज होता था।

इसी तरह रेप की धारा 376 से बदलकर अब 64 हो गई है। छेड़छाड़ का मुकदमा धारा 74 के तहत दर्ज होगा। धोखाधड़ी का केस धारा 420 की जगह अब 318 के तहत दर्ज होगा। लापरवाही से मौत का मामला धारा 106 के अंतरगत आएगा जो कि पहले 304ए में आता था। आपराधिक षड्यंत्र के लिए धारा 120बी की जगह धारा 61 लागू होगी। मानहानि के लिए धारा 499, 500 की जगह अब 356 लागू होगी। लूट और डकैती के लिए क्रमशः धारा 309 और धारा 310 होगी।